छपरा. सारण के गौरव देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद छपरा के जिला स्कूल से पढ़े-लिखे, मैट्रिक उत्तीर्ण किया। जहां पर उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में 100 में 99 नंबर लाया एवं इबारत लिखी, आज वो वीरान है। निशान के रूप में आज मात्र उनकी उपेक्षित प्रतिमा बची है। आज डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंति है और विद्यालय में स्थापित उनकी प्रतिमा पर धूल बैठा है। याद में कोई दो फूल चढ़ाएगा या नहीं, कहना मुश्किल है। स्कूल के पीछे उनकी प्रतिमा उपेक्षित पड़ी है। वर्षों से प्रतिमा के ऊपर अदद छत नसीब नहीं हुआ। इस ओर प्रशासन ने न तो ध्यान दिया और न ही हमारे जनप्रतिनिधि ही।
अचरज की बात है कि, जिला स्कूल के माध्यमिक में 700 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। इन छात्रों को पढ़ाने के लिए एक भी हाई स्कूल के शिक्षक नहीं है। प्लस टू विद्यालय के नियोजित शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं। शिक्षक नहीं होने की वजह से वर्ग अक्सर बाधित होता रहता है।
रतनसिंह, प्राचार्य, जिला स्कूल, सारण के अनुसार “विद्यालय में राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर छत आच्छादित करने के लिए अनुशंसा की गई है। राजेंद्र वाटिका को विकसित करने की पहल चल रही है। शिक्षकों के अभाव में कक्षाएं बाधित होती है। रिक्त पदों पर शिक्षकों को बहाल करने के लिए वरीय अधिकारी को अवगत कराया गया है। राजेंद्र प्रसाद के नाम पर संग्रहालय स्थापित करने का भी प्रयास चल रहा है। उनके नामांकन पंजी लिखी गई उत्तर पुस्तिका कहां है इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।”