पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के साथ भेदभाव को लेकर बैंकों पर जमकर बरसे। बुधवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की 54वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार को आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को सहयोग करना होगा। समस्या पैसे की नहीं, सिर्फ हाथ खोलने की है। हम बैंकों को मदद का बार-बार भरोसा दिलाते हैं, लेकिन रवैया नहीं बदला।
अब क्या आपका हाथ खुलवाने के लिए इंजेक्शन की जरूरत है। अगर हां, तो बैंक हमें बता दें। सीडी रेशियो का राष्ट्रीय औसत 78 प्रतिशत है लेकिन बिहार में मात्र 44.59 प्रतिशत। क्या यह संतोषजनक है? महाराष्ट्र का सीडी रेशियो 200 प्रतिशत है। सवाल उठता है कि क्या बैंक दूसरे प्रदेशों का पैसा भी महाराष्ट्र जैसे राज्यों को दे देते हैं। एसएलबीसी की रिपोर्ट दिखाते हुए उन्होंने कहा कि सामान्य नियमों तक का पालन नहीं हो रहा है। कोटक महिंद्रा और बंधन बैंक ने तो सीडी रेशियो पर अपनी रिपोर्ट तक नहीं दी है। यहां (बैठक में) रिजर्व बैंक के लोग भी बैठे होंगे। वे क्या कर रहे हैं? मैंने बैंकों की स्कीम को पढ़ा है।
नीतीश के सवाल
– देश में 11 हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा है लेकिन बिहार में 17 हजार की आबादी पर एक शाखा।
– अभी भी 13 प्रखंडों में बैंक की शाखा नहीं है, जबकि इन प्रखंड मुख्यालयों में सभी प्रकार की आधारभूत संरचना मौजूद।
– किसानों को कर्ज देने के लिए शिविर नहीं लगाया जाता है। शिक्षा कर्ज से मात्र 1% युवा कवर हैं। जिस योजना से 99% लोग बाहर हों उसका क्या मतलब।
नीतीश के सुझाव
– हरेक पंचायत में खोलें बैंक शाखा।
– चाहें तो पंचायत सरकार भवन में खोलें बैंक।
– सुरक्षा का प्रोटोकॉल बनाएं।
– कैश ले जाते समय पुलिस को जानकारी दें
Source: Bhaskar.com