Bihar Sharif.मैंने कई साल तक महात्मा गांधी का पांव दबाया था। जब मैं छोटा था तभी बिहारशरीफ से दिल्ली चला गया था। बीस वर्ष की उम्र तक मैंने बापू की सेवा की है। उनकी सेवा में जो खुशी मिलती थी, आज तक फिर किसी की सेवा में वैसा सकून नहीं मिला।
मेरे सामने ही उस त्यागी पुरुष को गोडसे ने गोली मारी थी। गोली मारते ही मैं जोर से चिल्लाया…कोई तो बचाओ मेरे बापू को। हर तरफ अचानक सन्नाटा पसर गया। लोगों का हुजूम घटनास्थल पर उमड़ पड़ा। ये बातें शहर के बड़ी पहाड़ी मोहल्ला निवासी 87 वर्षीय शिवबालक राम चंद्रवंशी ने बतायीं।
शिवबालक राम चंद्रवंशी कहते हैं कि मेरा जन्म वर्ष 1928 में हुआ। मैं छोटा था उसी वक्त दिल्ली चला गया था। गांधी जी के साथ रहता था। मेरे आचरण के कारण गांधीजी हमें अपने साथ रखते थे। मैं उनकी सेवा करता था।
एक दिन मैं गांधी जी के साथ बैठा हुआ था और लोग भी थे। सब लोग गांधी जी से बातें कर रहे थे। इतने में नाथू राम गोडसे वहां आ धमका। अपने हाथ में पिस्तौल लिये हुए था। कोई कुछ समझ पाता, उससे पहले उसने गांधी जी पर गोली चला दी। गोली गांधी जी के सीने में लगी। वे गिरकर तड़पने लगे। लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रही थी। कुछ लोगों ने गोडसे को पकड़ा, तो कुछ ने गांधी जी को। उनके मुंह से हे राम… निकला और वे दुनिया से चल बसे।
उन्होंने कहा कि उसके बाद मैं वापस बिहारशरीफ आ गया। हर गण्तंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर सभी कार्यालयों में घूम-घूम कर लोगों को बापू की कहानियां सुनाता हूं। सरकार ने मुझे कई बार सम्मानित किया है। हर कार्यालय मेरे लिए मंदिर और भारत की मिप्ती मेरे माथे का चंदन है। इस देश की खूबियों को वर्णन कर पाना मेरे बूते से बाहर की बात है। इस देश को कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए खराब कर दिया है।
Source:Livehindustan.com