पूर्णिया: मिलिए बिहार के इस दलित मुख्यमंत्री के परिवार से जिन्हें तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. जी हाँ, यह भोला पासवान शास्त्री का परिवार है जो पूर्णिया जिले के काझा कोठी के पास बैरगाछी गांव में रहता है.
तस्वीर में इनकी हालत साफ नजर आती है और बिहार के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्रियों से इनकी तुलना करेंगे तो जमीन आसमान का फर्क साफ नजर आएगा. हाल हाल तक यह परिवार मनरेगा के लिए मजदूरी करता रहा है|
बैरगाछी वैसे तो समृद्ध गांव लगता है, मगर शास्त्री जी का घर गांव के पिछवाड़े में है. जैसा कि अमूमन दलित बस्तियां हुआ करती हैं. हाँ, अब गांव में उनका दरवाजा ढूँढने में परेशानी नहीं होती क्योंकि वहाँ एक सामुदायिक केंद्र बना हुआ है. बिरंची पासवान जो शास्त्री जी के भतीजे हैं कहते हैं, यह सामुदायिक केंद्र तो हमारी ही जमीन पर बना है. अपने इस महान पुरखे की याद में स्मारक बनाने के लिए हमलोगों ने यह जमीन मुफ्त में सरकार को दे दी थी.
शास्त्री जी के कुनबे में अब 12 परिवार हो गये हैं जिनके पास कुल मिलाकर 6 डिसमिल जमीन थी. उसमें भी बड़ा हिस्सा इनलोगों ने सरकार को सामुदायिक केंद्र बनाने के लिए दे दिया है. अंदर एक-एक कोठली में दो-दो तीन-तीन परिवार कैसे सिमट सिमट कर रह रहे हैं.
शास्त्री जी वैसे ही शास्त्री हुए थे जैसे लाल बहादुर शास्त्री थे. यानी भोला पासवान जो निलहे अंग्रेजों के हरकारे के पुत्र थे ने बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल की थी. राजनीति में सक्रिय थे. इंदिरा गाँधी ने इन्हें तीन दफा बिहार का मुख्यमंत्री और एक या दो बार केंद्र में मंत्री बनाया. मगर इनकी ईमानदारी ऐसी थी कि मरे तो खाते में इतने पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्ध कर्म हो सके.
जब सामुदायिक केंद्र बन रहा था तो कई लोगों ने सलाह दी कि जमीन की कीमत ही मांग लीजिये मगर बिरंची ने इनकार कर दिया. कहा, अपने बाप दादा की प्रतिष्ठा बचाना ज्यादा जरूरी है. कहीं लोग यह न कहे कि शास्त्री जी कितने इमानदार थे और उनके परिजन कितने लालची हैं. उन्होंने बिना सोचे जमीन दे दी.
अफ़सोस इस बारे में सरकार और उसके नुमायिन्दों ने भी कुछ नहीं सोचा. यह उस राज्य में हो रहा है जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री को तरह-तरह की सुविधाएँ देने के लिए अलग से कानून बने हैं.
क्या इस ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री के निस्वार्थ परिजनों के लिए कुछ करने की बात कभी हमारे हुक्मरानों के मन में नहीं आई और बिना कुछ सोचे उन्होंने शास्त्री जी को अपनी दलित राजनीति चमकाने का मोहरा बना लिया.
Source: News18
Kya Av ke netaon ko nhi pata hai kya unke bare me sab pata hai lekin ye log to unka v haq chura ke kha rahe hai isliye Chup hai
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Govt should take initiates on this honesty of ex cm
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Is des Ki yahi badkismati hi
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Pingback: ईमानदारी का इनाम : जिन्हें तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला,बिहार के इस पूर्व दलित मुख्यमंत्
Emandari ka hhi sila milta h is desh me
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Dear zyada bolne ki baat khushi isbaat ki h k desh koi aor Shastri g h
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