गया जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित बांके बाजार का नक्सल प्रभावित बालासोत गांव में छह महीने पहले तक इस गांव अवैध शराब की कई भट्टिठयां थी और 24 घंटे लोग शराब पीकर वेवजह लडा़ई झगड़ा करते थे.
1शराब पीकर हंगामे से तंग आकर महिलाओं ने शराबबंदी की पहल की और गांव के बुजुर्गों ने 22 सदस्यों की एक समिति बनाकर शराबबंदी को लागू करने के लिए प्रयास शुरू किया.
समिति की महिला सदस्य तेरती देवी और प्रीति माला ने बताया कि शराब की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती थी और उनके परिवार के पुरूष सदस्य आर्थिक तंगी के बावजूद शराब में अधिकांश पैसा खर्च कर देते थे जिसके खिलाफ गांव की महिलाएं एकत्रित होकर विरोध करना शुरू किया. महिलाओं के विरोध के बाद समिति बनाई गयी.
इस समिति के सदस्य इन्द्रदेव यादव और विनोद प्रसाद का कहना है कि शुरू में बैठक कर शराब बंदी का निर्णय लिया गया. गांव की समिति नजर रखती है और हरेक रविवार को बैठक करती है.
समिति द्वारा जागरूकता और जबरदस्ती शराब बंद कराये जाने को शराब पीने वाले लोगों ने शुरू में विरोध किया पर बदलते समय के साथ उन्होंने खुद को बदल लिया. और आज इस गांव में न तो शराब की भट्टी चलती है और न ही कोई शराब पीता है.
धान बेचकर शराब पीने वाले सीताराम पासवान की माने तो शुरू में उन्होंने इस निर्णय का विरोध किया पर विरोध में उन्हें अपने परिवार का भी साथ नहीं मिला जिसके बाद वे धीरे-धीरे शराब लेना छोड़ने लगे और आज पूरी तरह शराब छोड़कर खुद को बेहतर महसूस कर रहें है.
शराबियों के अड्डा के रूप में विख्यात बालासोत गांव अब शराबबंदी को लेकर चर्चा में है. अपने गांव में पूर्ण शराबबंदी को लागू करने से उत्साहित यहां को लोग अब आस-पास के गांवों में पहल शुरू कर दी हैं.
Source:Hindi.pradesh