गया. बचपन में मामा को पेंटिंग करता देख पंकज की भी इच्छा होती थी कि पेंटिंग बनाए और जब मौका मिलता महात्मा गांधी का स्केच बनाने लगते। आज वे सक्सेसफुल पेंटर हैं। बुद्ध के जन्म से महापरिनिर्वाण तक की यात्रा को दिखाती उनकी पेंटिंग को जापान के एक परिवार ने 2 लाख में खरीदी है।
विदेश से मिले ऑर्डर तो बदली पिता की सोच
पंकज के पिता परमेश्वर यादव गया कॉलेज में चपरासी हैं। कॉलेज के बच्चों को आईएएस, डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, सीए आदि की परीक्षा पास करते देखते थे। सपना था कि, पंकज बड़ा होकर डॉक्टर, इंजीनियर बने। पैसा कमाए। बड़ा आदमी बने। रोज बेटे से अपने सपने साझा करते। लेकिन बेटे की जिद कुछ और ही थी। मन रंगों की दुनिया में बसता, कलम से ज्यादा कूची पकड़ने में लगता। पिता की झिड़की के बावजूद। जब पंकज को विदेशों से पेंटिंग के आर्डर मिलने लगे तो परमेश्वर की भी सोच बदल गई।
आज सुनाते हैं बेटे की सक्सेस स्टोरी
बेटे की उपलब्धियों के किस्से सुनाते रहते हैं। बुद्ध के जन्म से महापरिनिर्वाण तक की यात्रा को दर्शाती पंकज की पेंटिंग जापान के एक परिवार ने दो लाख में खरीदी है। विदेशों से कई और आर्डर मिले हैं। धार्मिक धरोहरों, ऐतिहासिक महापुरुषों सहित कई प्रकार की पेंटिंग से उनकी गैलेरी भरी पड़ी है। पंकज यामिनी रॉय को अपना आदर्श मानते हैं। कहते हैं रॉय की कला में माटी की खुशबू है।
Source: Bhaskar.com