दूषित जलापूर्ति वाले बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर ट्रीटमेंट मशीनों को लगाने में नीति आयोग सहयोग करेगा। नीति आयोग से इसके लिए बिहार को 22 करोड़ मिलेंगे। इस राशि से राज्य के आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित टोलों में लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने में मदद मिलेगी। इन टोलों में घरों तक पेयजल पाइपलाइन बिछाने तथा अन्य संसाधनों की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।
दिल्ली में केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह के साथ लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के उच्च पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला हुआ। सूत्रों के अनुसार नीति आयोग से 22 करोड़ मिलने का पत्र विभाग में आ गया है। इस मद में और पांच से छह करोड़ मिलने की उम्मीद है।
बैठक के दौरान राज्यों में कम हो रहे ग्राउंड वाटर पर चिंता व्यक्त की गई। तय किया गया कि लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए अधिक से अधिक सरफेस वाटर (तालाब, कुआं, पोखरों, नहर, नदी) का उपयोग किया जाए।
गौरतलब है कि राज्य में राजधानी पटना सहित 13 जिले आर्सेनिक तथा गया, भागलपुर सहित 11 जिले फ्लोराइड प्रभावित हैं। 2010 में हुए सर्वे में आर्सेनिक प्रभावित टोलों की संख्या 15 सौ व प्लोराइड प्रभावित टोलों की संख्या चार हजार थी। इस बीच राज्य सरकार ने व्यापक स्तर पर काम किया और तमाम टोलों के लोगों को अब शुद्ध पानी मिलने लगा है।
विभाग के मुताबिक राज्य में इस समय आर्सेनिक प्रभावित 64 तथा फ्लोराइड प्रभावित 498 टोलों में कुछ खास काम नहीं हो सका है। नीति आयोग से मिलने वाले बजट से इन टोलों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाएगी।
Source: LiveHindustan