मुजफ्फरपुर. देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई बाधा मुश्किल नहीं लगती। सुधीर चंद्र वर्मा उर्फ गोपालजी ने भी कुछ ऐसा ही बीड़ा उठाया। देशवासियों के बीच राष्ट्रीय एकता का संदेश बांटने बाइक से चल पड़े और एक लाख से अधिक किलोमीटर की दूरी नाप दी। देश के हर कोने का भ्रमण किया। इतने पर भी उनकी यात्रा खत्म नहीं हुई है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकलने की है तैयारी
उम्र बढ़ने के साथ गोपालजी का जज्बा भी उतना ही बढ़ रहा है। 61 साल की आयु में सर्वाधिक कठिन कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकलने की तैयारी है। इस सिलसिले में पासपोर्ट के लिए दिया गया उनका आवेदन स्वीकृत हो गया है। अब केंद्र सरकार से अनुमति मांगेंगे। अनुमति मिलते ही बाइक से चीन अधिकृत कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकल पड़ेंगे। उन्होंने इसके लिए जो रूट तय कर रखा है उसके अनुसार यात्रा 5 हजार किमी. की होगी।
असहिष्णुता और देशद्रोह पर चर्चा गलत
गोपाल जी कहते हैं कि यह सिर्फ मन की बात है। ख्याल आया कि देश के लिए कुछ करें और निकल पड़े। कहा-आजादी के ढाई दशक बाद भी असहिष्णुता और देशद्रोह पर चर्चा हो रही है। यह दुखद है। आपसी सद्भाव से ही देश आगे बढ़ सकता है। भारत आगे बढ़े और नित्य नई ऊंचाइयों को छुए, इसी उद्देश्य से वे बाइक से आगे बढ़ते हुए कन्याकुमारी तक गए।
गोपालजी पर नाज है : डॉ. निर्मला सिंह
कॉलेज के लोग इनके जज्बे को सलाम करते हैं। प्राचार्य डॉ. निर्मला सिंह कहती हैं कि गोपालजी पर उन्हें नाज है। वे कर्तव्य, ईमानदारी और देशभक्ति की मिसाल पेश कर रहे हैं। कॉलेज भी नियमित आते हैं। पूरी जिम्मेदारी कर्मठता से निभाते हैं। गर्मी के अवकाश अथवा साल की बचाई गई अपनी छुट्टी में भारत भ्रमण पर निकल शांति-सद्भाव का संदेश देते हैं।
एमएसकेबी में हैं एनसीसी, एनएसएस और सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रभारी
शहर के एमएसकेबी कॉलेज में एनसीसी, एनएसएस व सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रभारी व अहियापुर निवासी गोपालजी ने अपने अभियान की शुरुआत 1980 में की थी। पहली बार 50 सीसी फ्लैश मोपेड से मुजफ्फरपुर से काठमांडू गए थे। रास्ते में लोगों का जो स्नेह मिला उससे उत्साह बढ़ा और कारवां बढ़ता चला गया। अब हर साल कहीं न कहीं लंबी यात्रा पर निकलते हैं।
आगे का तय है रूट चार्ट, हर दिन तय करेंगे 300 किमी.
पासपोर्ट के लिए आवेदन की स्वीकृति मिलने के बाद गोपालजी ने यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। रूट चार्ट भी बना लिया है। प्रतिदिन 300 किमी. की यात्रा करेंगे। कैलाश मानसरोवर की यात्रा में 18 से 20 दिनों का समय लगेगा। मई में बर्फ पिघलने के साथ ही यात्रा पर निकल जाएंगे। सिलीगुड़ी, सिक्किम की राजधानी गंगटोक, नाथूला दर्रा, प्रयांग, ल्हात्से होते हुए कैलाश मानसरोवर तक पहुंचेंगे। रास्ते में रात्रि विश्राम के पांच बड़े पड़ाव होंगे। यात्रा पर आनेवाला खर्च भी स्वयं वहन करते हैं।
25 साल पूर्व काठमांडू जाकर की थी यात्रा की शुरुआत
पहली बार वे 25 साल पहले मुजफ्फरपुर से रक्सौल, वीरगंज, हेटौडा होते हुए काठमांडू गए थे। पर्वत की 8162 फीट ऊंची चोटी श्यामभुंग ज्यांग पर बाइक से ही चढ़ाई की थी। इसके बाद दक्षिण में कन्याकुमारी, पश्चिम में द्वारिकापुरी, पूरब में शिलांग, उत्तर में केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ से लेकर लेह- लद्दाख जा चुके हैं। इसमें विश्व की सबसे ऊंची सड़क खारदुंगला 18380 फीट की ऊंचाई पर पताका लहाराया जबकि बाइक यात्रा के दौरान उनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं था।
Source: Bhaskar.com