बेगूसराय: देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद कन्हैया की रिहाई के लिए यूं तो देश में तरह-तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बुधवार को कन्हैया के गांव बीहट में शांति-निकेतन विश्वविद्यालय से एमएफए आर्टिस्ट वीरचंद और राकेश ने आज कन्हैया के बीहट स्थित पैतृक निवास पर अपना कला-प्रतिरोध दर्ज किया। कन्हैया की कविता को दीवार पर लिखा।
लोकतंत्र को डायनासोर की शक्ल में दिखाते हुए सेव जेएनयू, सेव इंडिया के नारे लिखे। वीरचंद ने अपने खुले बदन को लाल रंग से पोत कर अपना कलात्मक -प्रतिरोध दर्ज किया। विजुअल आर्ट परफॉर्मेंस के द्वारा बीहट के चांदनी चौक पर अपनी काया को जख्मी, लहूलुहान लोकतंत्र की शक्ल में प्रस्तुत कर कन्हैया को निर्दोष बताते हुए उसकी रिहाई की मांग की। इस दौरान पुष्पराज, प्रह्लाद, रामरतन मौजूद थे।
जनसंघी दादा का वामपंथी पोता देशद्रोह में नामजद
जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया ने देश का ध्यान बेगूसराय के बीहट की ओर खींचा, वहीं मामले के फरार दूसरे आरोपी आशुतोष कुमार ने पटना के बाढ़ की ओर लोगों को ध्यान खींचा। बाढ़ के स्टेशन रोड निवासी आशुतोष कुमार का पूरा परिवार पटना में रहता है। आशुतोष को राजनीति तो विरासत में दादा से मिली लेकिन परस्पर धुर विरोधी राजनीतिक विचारधारा का अंतर भी देखने को मिला।
भाकपा माले के छात्र संगठन आइसा नेता आशुतोष के दादा स्व सरयुग यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। सरयुग यादव ने जनसंघ के टिकट पर 1969 में बख्तियारपुर से और 1971 में बाढ़ से चुनाव लड़ा था। आइसा से जुड़ा आशुतोष खुद पिछले साल जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष रह चुका है।आशुतोष के पिता परमानंद यादव और मां शोभा देवी 15-20 साल से बाढ़ से बाहर रह रहे हैं।
कभी गौरव तो कभी शर्मिंदगी
बाढ़ के स्टेशन रोड निवासी और आइसा के छात्र नेता आशुतोष से जुड़ी दो खबरें दो साल में आईं। पहली खबर उसके छात्र संघ अध्यक्ष निर्वाचित होने से जुड़े होने की दो साल पहले आई। उस वक्त स्थानीय लोगों को गर्व हुआ था कि बाढ़ का बेटा देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया है। हालांकि आशुतोष से जुड़ी खबर जब इस बार आई तो स्थानीय लोग कन्नी काटते दिखे।
Source: Dainik Bhaskar