गया.बच्चे का मां-बाप नहीं तो किसी का दोनों में एक नहीं, गरीबी व भूख ऐसी की परिजनों ने भी साथ नहीं दिया, हाथों में गिल्ली-डंडे की जगह बाल मजदूर का ठप्पा लग गया। बचपन चूड़ी फैक्टरी व हानिकारक केमिकल में दम तोड़ रहा था। आठ घंटे से अधिक देर तक काम करने वाले बच्चों की हथेली सख्त हो गई है।.
फैक्ट्री से मुक्त कराए बच्चों ने बताया
बच्चों ने बताया कि महज तीन हजार के पगार पर दिन रात काम लिया जाता था। पैसे भी समय पर पूरी नहीं दी जाती थी। फैक्ट्री से बाहर घूमने की सख्त मनाही थी। दिन में एक बार खाना मिलता व काम खराब होने पर मारा पीटा जाता था। गुरुवार की सुबह जयपुर के चूड़ी फैक्ट्री से मुक्त कराए गए 46 बच्चे पुलिस अभिरक्षा में गया जंक्शन पहुंचे। ऑपरेशन मुस्कान के तहत मुक्त बच्चे को बाल कल्याण समिति ने पीपुल्स फर्स्ट संस्था के तहत संचालित चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। वहां से बच्चे सुविधा के अनुसार अन्य एनजीओ सेंटर पर देखरेख के लिए रखे गए हैं।
सबसे अधिक गया के हैं बच्चे
जयपुर चूड़ी फैक्ट्री से मुक्त 46 में 28 बच्चे गया जिले के हैं। इनमें बच्चे गया के उग्रवाद प्रभावित डुमरिया, शेरघाटी, खिजरसराय, बथानी व अन्य प्रखंडों से हैं। मुक्त कराए बच्चों में मुजफ्फरपुर से 8, समस्तीपुर से 4, जहानाबाद के 2, बेगुसराय 2, नालन्दा व मोतिहारी से एक-एक शामिल हैं।
पिता की मृत्यु हुई, परिजनों ने फैक्ट्री पहुंचा दिया
ये कहानी है बथानी क्षेत्र के नया नगर गांव के साजन की, कम उम्र में ही पिता का साया उठ गया और मां भी छोड़कर दूसरे के साथ चली गई। परिजनों ने उसे काम के लिए जयपुर चूड़ी फैक्ट्री में पहुंचा दिया। यहां तक कि परिजन उसके कमाए पैसे भी महीने में मांग लेते थे। कमोबेश यही स्थिति देवानंद, लल्लू, राहुल, दया, पंकज, जय, एकराम, एहसान, बरभा का है। जिनका या तो मां नहीं तो किसी के सिर पर पिता का साया नहीं है।
बाल श्रम से मुक्त 105 बच्चों का हुआ है नामांकन
वर्ष 2015-16 में बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए करीब 105 बच्चों को प्रशासन ने सर्वशिक्षा अभियान के तहत जिले के विभिन्न स्कूलों में नामांकन कराया गया है। वहीं ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता का पता नहीं लग पाया है उनके पढ़ाई का जिम्मा शहर के पीपुल्स फर्स्ट संस्था व अन्य एनजीओ उठा रखी है।
क्या कहते हैं संस्था के संचालक
रेस्क्यू जंक्शन पहुंचे बाल श्रमिकों की सारी सुविधा दी जाती है। अबतक 550 बच्चे संस्था में बाल मजदूरी से मुक्त कराकर रखे जा चुके हैं। जिन बच्चों के परिवार नहीं मिलते उनकी परवरिश और पढ़ाई का जिम्मा संस्था अपने ऊपर लेती है।भावी भविष्य को संवारने में असीम अनुभूति होती है।
जिले में सक्रिय है दलाल
यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी बच्चों को मजदूरी के लिए दलालों द्वारा अन्य प्रदेशों में ले जाने का मामला सामने आ चुका है। बाल श्रम विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं होने से दलाल जिले भर में एक गिरोह के रूप में सक्रिय है। पुलिस को भी समय-समय पर सूचनाए मिलती रहती है। लेकिन इस दिशा में कार्रवाई नहीं होती। इन दलालों पर क्या कार्रवाई होती है ये वक्त ही बताएगा।
दलालों की हो रही है खोज
जिलों से बच्चों को बाहर भेजने में सक्रिय दलालों पर अंकुश लगाने के लिए श्रम विभाग व पुलिस मिलकर प्रयास कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चिन्हित कर दलालों को दबोचने की कार्रवाई की जाएगी। वहीं कड़ी कार्रवाई नहीं होने से पहाड़ी क्षेत्रों से बच्चों का पलायन लगातार जारी है।
सक्रिय दलालों ने पहुंचाया जयपुर
बच्चों व परिजनों को पैसे की लालच देकर दलाल जयपुर पहुंचाए थे। जानकार बताते हैं कि एसके एवज में दलालों को फैक्ट्री मालिकों से मोटी रकम मिलती है। जिले के अलावे पड़ोसी जिलों में भी बाल मजदूरी कराने को लेकर दलाल सक्रिय हैं।
Source: Bhaskar.com