पटना.10 साल यानी बाद अपराधियों ने फिर 27 साल पुरानी AK-47राइफल थाम ली है। इसी हकीकत को बयां कर रही हैं बीते ढाई-तीन महीने में हुई हत्या की दो हाई प्रोफाइल वारदातें। पहले दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या फिर राजधानी से सटे कच्ची दरगाह इलाके में लोजपा नेता बाहुबली बृजनाथी सिंह पर सरेआम AK-47 से गोलियों की बौछार की गई। इसके पहले पटना में 2006 में एक प्राइवेट कंपनी के इंजीनियर की हत्या में अपराधियों ने AK-47 का इस्तेमाल किया था।
2.5 लाख में देसी तो विदेशी 8 लाख तक
पहले पुरुलिया और असम-सिलीगुड़ी के रास्ते AK-47 (मेड इन यूएसए और पाकिस्तान) आती थी। वर्ष 2000 में विदेशी AK-47 की कीमत 2 से 2.5 लाख तक थी, जबकि वर्तमान में 7.5 से 8 लाख तक है। वैसे पाकिस्तानी दर्रा एरिया से आने वाली AK-47 की कीमत 4 से 5 लाख तक होती है। मुंगेर निर्मित देसी AK-47 सबसे कम 2 से 2.5 लाख रुपए तक बिकती है। पुरुलिया में विमान से गिराए गए हथियारों में से काफी AK-47 बिहार के अपराधियों तक पहुंची थी।
केस- 1: 26 दिसंबर, 2015
दरभंगा के बहेड़ी में प्राइवेट रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी से जुड़े दो इंजीनियरों की हत्या। बाइक सवार हमलावरों ने AK-47 से निशाना बनाया।
केस- 2 : 5 फरवरी, 2016
पटनासिटी के कच्ची दरगाह इलाके में हमलावरों AK-47 से गोलियों की बौछार करके लोजपा नेता बाहुबली बृजनाथी सिंह की हत्या की।
क्यों अपराधियों को भाता है AK 47?
– AK 47 को चलाना बेहद आसान है। इसे ले मैन का हथियार कहा जाता है।
– बंदूक को चलाने के लिए जहां प्रॉपर ट्रेनिंग की जरूरत होती है। वहीं, AK 47 को हर वह शख्स चला सकता है जो इसे उठा सके।
– अपने समकालीन हथियारों में AK 47 बेहद हल्का, कॉम्पैक्ट, सरल और भरोसेमंद है।
– बंदूक के मुकाबले इसका साइज आधे से भी कम है, इसलिए कार और अन्य गाड़ियों में इसे छुपाना आसान है।
– AK 47 अपने आप में दहशत का पर्याय है। अपराधी इसे स्टेटस सिंबल के रूप में लेते हैं।
– इलाके के जिस गिरोह के पास AK 47 होता है उसका रुतबा बढ़ जाता है।
Source: Bhaskar.com