पटना: विवादों में उलझी कर राशि को सुलझा सरकार संसाधनों का मोर्चा दुरुस्त करेगी। सरकार ने इससे जुड़ा कराधान विवाद समाधान विधेयक-2016 विधानमंडल में सर्कुलेट कर दिया है। इसमें दो फार्मूले तय किए गये हैं। पहला फार्मूला वित्तीय वर्ष 2004-05 के पहले के विवादित बकाए कर से जुड़ा है और दूसरा 2005-06 और 2011-12 तक के लिए है।
पुराने बकाए के समाधान में 2005-06 के बाद के बकाए की तुलना में थोड़ी अधिक राहत दी गई है। वाणिज्य कर मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने बताया कि राजस्व बढ़ाने के चिह्नित उपायों में यह बिल एक उपाय है। इससे 300 करोड़ से अधिक राशि प्राप्त होने की उम्मीद है।
विधेयक के प्रावधान के अनुसार अिधसूचना जारी होने के तीन माह के भीतर इसका लाभ उठाया जा सकता है। वैसे, सरकार यह अवधि बढ़ा भी सकती है। इसके तहत विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों को सुलझाया जा सकता है। सेटलेमेंट के बाद अदालतों में दर्ज मामले वापस लेने के लिए सात दिनों के भीतर आवेदन दाखिल करना होगा।
क्यों पड़ी विधेयक की जरूरत
1 अप्रैल से राज्य में लागू हो रही शराबबंदी की वजह से सरकार के हाथ से करीब 4000 करोड़ का राजस्व फिसलता दिखाई दे रहा है। फिलवक्त राज्य का अपना वास्तविक (2014-15) कर संग्रह 22,308 करोड़ है। 2015-16 में सरकार का अनुमान है कि उसे 30,875 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा । बीते वर्षों में राजस्व वसूली में हुई वृद्धि बताती है कि सरकार का आंतरिक राजस्व सालाना 1000 करोड़ के करीब बढ़ता है। ऐसे में इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर सरकार के अनुमान से कम राशि हासिल होगी। राजस्व की इसी कमी की भरपाई के एक उपाय तहत सरकार ने यह विधेयक लाया है। सरकार ने नया टैक्स लगाने के स्थान पर विवाद में फंसी टैक्स की राशि की उगाही को संसाधन जुटाने का बेहतर उपाय माना है।
कैसे मिलेगा योजना का लाभ
टैक्स बकाया विवाद में फंसे कारोबारी को योजना का लाभ उठाने के लिए विधेयक की अवधि की समाप्ति के 15 दिन पूर्व आवेदन करना होगा। आवेदन पर 100 रुपए का स्टाम्प शुल्क लगेगा। कारोबारी को एक शपथ-पत्र भी देना होगा कि आवेदन में जिन तथ्यों का वह उल्लेख कर रहा है वह सत्य हैं।
संसाधन के लिए पहले उठाए गए कदम
बजट के पूर्व ही सरकार कपड़ा, मिठाई, ब्राण्डेड समोसा-नमकीन आदि को वैट के दायरे में ला चुकी है। कुछ वस्तुओं को प्रवेश कर के दायरे में शामिल किया गया। पेट्रोलियम उत्पादों पर अधिभार भी 10 फीसदी बढ़ा दिया। वैट के 13.5 प्रतिशत कर की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की दर भी 1 प्रतिशत बढ़ाया जा चुका है।
छोटे बकाएदारों को ज्यादा फायदा
विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक छोटे बकाएदार ज्यादा फायदे में दिखते हैं। 2004-05 के पूर्व यदि किसी पर 10 लाख से अधिक कर बकाया है तो वह 2.5 लाख के भुगतान पर ही सेटल हो जाएगा। 2005-06 के बाद इतनी ही राशि पर 3 लाख भुगतान करना होगा। यानी 7 से 7.5 लाख की छूट। दस लाख से कम की राशि पर तयशुदा रकम और कर प्रतिशत का प्रावधान नहीं है।
Source: Dainik Bhaskar