बिहार में कई थानों की पुलिस कठिन हालात में काम कर रही है। ना रहने का जगह है और ना ही खाने का ठिकाना। सूबे के मंत्री, नेता और अधिकारियों को जानने की फुर्सत नहीं है कि आखिर पुलिस कैसे हालात में काम कर रही है। आज भी कई थाने ऐसे हैं जो झोपड़ी में चल रहे हैं। पुलिस को खुद पर हमला होने का भी डर सताता है।
बरसात में होती है बहुत परेशानी
सूबे में कई ऐसे थाने हैं, जिसका आजतक भवन नहीं बन सका। कई थाने हैं जो किराया के मकान में चलते हैं। कई ऐसे भी थाने हैं जो झोपड़ी में चल रहे हैं। इन थानों की पुलिस साल भर परेशान रहती है। बरसात में पानी और सांप, बिच्छू का डर रहता है। पानी अंदर आने पर फाइलों से लेकर हथियार तक को भींगने से बचाना पड़ता है।
नक्सल प्रभावित इलाके में भी झोपड़ी में है थाना
बक्सर जिले में तिलक राय का हाता, नैनीजोर, आरा जिले के चांदी, सिन्हा ओपी, कटिहार का बलिया बलौन, पश्चिम चंपारण के कंगली, पुरुषोतमपुर थाना आज भी झोपड़ी में चल रहे हैं। नेपाल से सटी सीमा के पास भेजा और खिरहर थाने झोपड़ी में चल रहे हैं। नक्सल प्रभावित पूर्वी चंपारण में आठ थाने झोपड़ी में चल रहे हैं।
पश्चिम चंपारण के पुरूषोतपुर थाना।
थाना पर हो चुका है हमला
थाने की स्थिति जर्जर होने का फायदा अपराधी और नक्सली उठाते हैं। कई बार हमला भी हो चूका है। पूर्वी चंपारण के शिकारगंज, पलनवा, पीपराकोठी, नकरदेई और हरपुर थानों पर तो कई बार नक्सली हमले हो चुके हैं। समस्तीपुर के रीगा थाने पर भी नक्सली हमला हुआ था। 2002 और 2006 में नक्सली हमले के बाद इसे एक स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया था।
आग लगने से जले थे कई राइफल
बक्सर के नैनीजोर थाना में करीब चार साल पहले आग लगने से पुलिसकर्मियों के हथियार और कारतूस जल गए थे। यह थाना भी झोपड़ी में चलता है। ऐसे थाना में रहने वाले पुलिसकर्मी झोपड़ी के बगल में ही खाना बनाते हैं। ऐसे में आग लगने की संभावना अधिक रहती है।
कटिहार के बलिया बेलोन थाना।
हाजत के बदले खूंटा में बांधे जाते थे गिरफ्तार लोग
कई झोपड़ी वाले थाना में हाजत की व्यवस्था नहीं है। मधुबनी जिले के भेजा थाना में पुलिस द्वारा करीब दो साल पहले एक गिरफ्तार व्यक्ति को खूंटा में बांधने का मामला सामने आया था। इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ था।
Source: Dainik Bhaskar