आईएएस ने खोज की आयुर्वेद की दवा, किडनी और लीवर के लिए रामबाण

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पिता की किडनी फेल हुई। बेटे को ब्लड कैंसर हो गया। मन घायल हुआ। कसम खाई कि इस बीमारी की रोक के लिए दवा बनाएंगे। कर भी दिया। रिसर्च शुरू किया। मिल गई कामयाबी।

जी हां, बिहार के एक आइएएस अफसर ने पिता की किडनी फेल होने और बेटे को ब्लड कैंसर होने के बाद आयुर्वेद की दवा खोजी, जो किडनी और लीवर के लिए रामबाण है। आईएएस एसएम राजू बिहार के प्रधान सचिव सह राजस्व बोर्ड के सदस्य हैं।

11 आयुर्वेद की दवा बनाई: एसएम राजू ने आयुर्वेद की 11 दवाएं बनाई हैं। इसमें छह दवाओं को कर्नाटक के आयुष निदेशालय ने लाइसेंस प्रदान कर दिया है। दवाओं का 2014 में क्लीनिकल ट्रायल भी हो गया है। जुलाई से दवाएं बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी।

किडनी-लिवर में फायदेमंद: दवा किडनी फेल होने पर किडनी केयर, लिवर सिरोसिस के उपचार के लिए लिवर केयर के रूप में रामबाण है। पेट से संबंधित बीमारियों के लिए गैस्ट्रो सपोर्ट, ऑर्थराइटिस एवं जोड़ों के दर्द के लिए आर्थो केयर, हृदय के वाल्व में छेद पर कॉर्डियोवैस्कुलर केयर, थायराइड, ब्लडप्रेशर, दांत दर्द और बाल झड़ने से रोकने के लिए एंटी एजिन दवा है। अपने रिसर्च कार्य की जानकारी उन्होंने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र के जरिए दी है।

ऐसे बनी है दवा: नीम, बेल, जांबू, ब्राह्मी, गोक्षरा, अश्वगंधा, चिरैया, गुगुल, बीबी टेक और गुडुची के मिश्रण से दवा बनाई गई है।

पिता और बेटे की बीमारी ने किया प्रेरित: एसएम राजू कहते हैं कि पिताजी 2008 में एक्यूट रेनल फेल्योर व बेटा 2010 में ब्लड कैंसर से पीड़ित हो गया। ऐसे में मैंने गूगल नेटवर्क पर उपलब्ध औषधियों की जानकारी के माध्यम से रिसर्च शुरू किया। आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण से बनी दवाओं का दोनों को सेवन कराया। इससे पिता और बेटा दोनों का स्वास्थ्य ठीक हो गया। किडनी फेल्योर के लगभग 27 मरीज दवा का सेवन कर रहे हैं। उनका कहना है कि दवाएं सस्ती और सुलभ होंगी।

दवा से आय का 50 प्रतिशत गरीब छात्रों के लिए: आयुर्वेदिक दवाओं को बेंगलुरु की एक कंपनी बना रही है। दवा से प्राप्त आय का 50 फीसदी गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च करेंगे। गुरुकुल की तर्ज पर विद्यालय खोलेंगे। इसमें 50 प्रतिशत दाखिला अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षित रहेगा।

Source: LiveHindustan.com

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