आज कलश स्थापना से चैत्र नवरात्र की शुरुआत

kalash-08-04-2016-1460087660_storyimage.jpg

कलश स्थापना के साथ ही शुक्रवार 8 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो जाएगी। हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2073 का भी शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शुक्रवार से ही हो रहा है। चैत्र नवरात्र पूजन के दौरान ही चैती छठ महापर्व और रामनवमी भी है।

सालभर में चार नवरात्र होते हैं जिसमें शारदीय नवरात्र और वासंतिक नवरात्र का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्र को महापूजा और चैत्र नवरात्र को वार्षिकी पूजा कहा जाता है। इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ भी माना जाता है। पटना सहित पूरे प्रदेश में शारदीय नवरात्र की तरह ही वासंतिक नवरात्र भी पूरे विधि-विधान से मनायी जाती है। खासकर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। मंदिरों में पूजन को लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है। आचार्य मार्कण्डेय शारदेय के अनुसार शरद और वसंत तु में रोगों के प्रकोप बढ़ने की संभावना रहती है। रोगों से मुक्ति को देवी की आराधना की जाती है।

नववर्ष और नवरात्र पर विशेष संयोग: ज्योतिषाचार्य डां.राजनाथ झा के मुताबिक हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2073 और चैत्र नवरात्र पर ग्रह-गोचरों का विशेष संयोग बन रहा है। मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत सिद्धियोग और सर्वार्थ सिद्धियोग में होगी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, चैत्र महीना और अश्विन नक्षत्र का एक साथ संयोग बनने से और सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धियोग बन रहा है। आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार दुर्गा मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार देवी का विशेष दिन है। इन तीन दिनों में मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती पूर्ण रूप से अपनी सोलह कलाओं से भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। तांत्रिक प्रेम बाबा के मुताबिक इन विशेष दिनों में मां दुर्गा की पूजा होने से अघौड़ी व तांत्रिकों को तंत्र सिद्धि में सफलता मिलती है।

इन मंदिरों में होती है विशेष पूजा
बांसघाट काली मंदिर में 150 वर्षों से मां काली की उपासना
राजधानी में कई ऐसे पौराणिक मंदिर हैं जहां चैत्र नवरात्र में विशेष पूजा अर्चना होती है। सिद्धेश्वरी काली मंदिर बांसघाट में लगभग डेढ़ सौ वर्षों से मां काली की उपासना की जा रही है। शुक्रवार 11 बजे से यहां कलश स्थापना कर पूजा शुरू होगी। मान्यता है कि मां काली के मंदिर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर के सचिव शैलेन्द्र प्रसाद के अनुसार यह मंदिर तंत्र-साधना के लिए कभी पूरे देश में चर्चित था। देशभर के तांत्रिक यहां तंत्र-साधना करते थे।

गोलघर अखंडवासिनी मंदिर में अखंड दीप
गोलघर के समीप अखंडवासिनी मंदिर में भी चैत्र नवरात्र की धूमधाम रहेगी। मंदिर के पुजारी ने बताया कि शुक्रवार की सुबह 7 बजे से कलश स्थापना की पूजा शुरू होगी। मंदिर में 108 वर्षों से अधिक समय से अखंड दीप प्रज्वलित हो रही है।
काली मंदिर दरभंगा हाउस में 150 वर्षों से पूजा
अशोक राजपथ स्थित काली मंदिर दरभंगा हाउस में लगभग डेढ़ सौ वर्षों से मां काली की पूजा हो रही है। मान्यता है कि मां काली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। गंगा किनारे स्थित मंदिर में सुबह से ही मां  के भक्तों की भीड़ होती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रात: सूर्योदय से 9 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11.57 से 12.48 बजे

Source: Livehindustan.com

This entry was posted in Latest. Bookmark the permalink.

Thanks to follow this web site

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s