अगर आपको लगता है की राजनीति आपकीजिंदगी, आपके बच्चों का भविष्य, आपके परिवेशको प्रभावित करती है, तो आप कैसी राजनीति पसंद करेंगे?
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कल जब मैंने अमेरिका से माँ को फोन मिलाया तो पता चला घर पर सब बहुत अच्छा नही था.
माँ की तबीयत खराब रहती ही है, पिताजी भीकोल्ड, कॉफ से डाउन थे…
घर के कई ज़रूरी काम ठप थे…
वैसे तो माँ अक्सर यही कहती थी, “जहाँ रहो बेटा, खुश रहो.”
मगर आज माँ का मूड दूसरा लग रहा था. कहनेलगी, “बौआ, तू सब एतअ नय कमा सकय छहक?”(तुम यहाँ नहीं कमा सकते हो?)
उसका दर्द मैं समझ रहा था.
मैने कहा, “माँ! बिहार में हमारे काम वाली कंपनीनही है.”
मगर उसका मूड आज पहले जैसा स्वीकार भाववाला नही था…
वो पूरे प्रश्णात्मक अंदाज में थी…
जैसे कोई करियर के सो-कॉल्ड अचीव्मेंट्स का जायज़ा ले रहा हो…
माँ ने कहा, “कोन पढ़ाई पढ़लहक तू सब! एते लोग कमाए छइ किने?”(कैसी पढ़ाई की तुम लोगों ने? यहाँ लोग कमाते हैं कि नहीं)
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आज माँ अपने दिए जिंदगी का, अपने दिए संस्कारों का अप्रेज़ल ले रही थी…
और मैं पहली बार माँ से बचने की कोशिश कररहा था.
ये सोच कर नींद नही आई रात भर कि, कहाँ चूक हो गयी हमसे?
– लक्ष्मी नारायण
(एक बिहारी के अंतरात्मा की आवाज़ )