पटना: भूटान और नेपाल की बिजली अब सीधे राजधानी पटना तक आएगी। किशनगंज से पटना के बीच उच्च क्षमता की ट्रांसमिशन लाइन लगभग तैयार हो गई है। इसके बन जाने पर भूटान व नेपाल की भारत आने वाली बिजली आसानी से बिहार आ सकेगी। यही नहीं, संकट के समय राजधानी के पास वैकल्पिक स्रोत भी उपलब्ध होंगे।
इस लाइन से दोनों देशों के अलावा पूर्वोत्तर भारत से 3000 मेगावाट बिजली सहजता से बिहार पहुंचेगी। ट्रांसमिशन लाइन पर 1400 करोड़ रुपए खर्च होंगे। राजधानी पटना के साथ-साथ पूर्वोत्तर बिहार में पहुंचाने के लिए भी ट्रांसमिशन लाइनें बन रही हैं।
सिक्किम आईपीपी कॉरिडोर योजना के तहत किशनगंज व पटना के बीच 692 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन निर्माण की योजना पर काम हो रहा है। यह लाइन भूटान और नेपाल के अलावा तिस्ता पनबिजलीघर से भी जुड़ी होगी। तिस्ता से किशनगंज के बीच 496 किलोमीटर लंबी लाइन है।
इसके अलावा सिलीगुड़ी-पूर्णिया के बीच तैयार लाइन को भी किशनगंज से जोड़ा गया है। ये दोनों ट्रांसमिशन लाइनें किशनगंज-पटना से जुड़ जाएंगी तो पूर्वोत्तर हिस्से से बिहार के पास वैकल्पिक लाइन मौजूद होगी। यह भी उच्च क्षमता की लाइन होगा। साथ ही सिलीगुड़ी-दालकोला के बीच 36 किलोमीटर की समानांतर लाइन भी बन रही है जो नेपाल-भूटान की बिजली के जरूरत पड़ने पर उत्तर बिहार के विभिन्न हिस्सों में भेज सकेगी। ये सभी ट्रांसमिशन लाइनें किशनगंज में बन रहे सुपर ग्रिड से जुड़ी होंगी।
भूटान की तीन व नेपाल की एक परियोजना से भारत को बिजली मिलने वाली है। भूटान की तीन बड़ी परियोजनाओं पुनासांगचू फेज-1 और फेज-2 के साथ-साथ मांगडेचू परियोजना में बिहार की हिस्सेदारी तय की गई है। पुनासांगचू फेज-1 से 1200 मेगावाट, फेज-2 से 1020 मेगावाट और मांगडेचू से 720 मेगावाट बिजली भारत आनी है। इसके अलावा नेपाल की अरुणा-3 परियोजना से बिहार को 125 मेगावाट बिजली मिलनी है।
Source: Dainik Bhaskar