बिहार में ट्रेनें करेंगी हवा से बात, ट्रैक बिछाने में नई तकनीक का होगा इस्तेमाल

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पटना: अब बिहार की रेल पटरियों पर भी ट्रेनें हवा से बात करेंगी। इसके लिए पुरानी तकनीक से बिछी पटरियों को अपग्रेड किया जाएगा। ट्रैक बिछाने में नई तकनीक वाली मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। रेलवे स्टेशनों व हॉल्टों के पर ज्यादा से ज्यादा लूप लाइन बनेगा ताकि ज्यादा स्पीड वाली एक्सप्रेस ट्रेनों के गुजरने के समय कम स्पीड वाली दूसरी ट्रेनों को लूप लाइन पर लिया जा सके।

रेल बजट में ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के साथ कुछ हाई स्पीड ट्रेनों की घोषणा हुई है। ऐसे में पटरियों को दुरुस्त रखने के लिए रेल बजट में पूर्व मध्य रेल क्षेत्र में 254 करोड़ 63 लाख की घोषणा हुई है। पूर्व मध्य रेल के जीएम एके मित्तल ने भी रेल बजट के बाद दावा किया था कि बजट में घोषित तेजस व हमसफर एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें बिहार से भी गुजरेगी।

अपग्रेड करने के लिए ट्रैक गैंडिंग मशीन का भी इस्तेमाल
रेल पटरियों को अपग्रेड करने की इस कड़ी में अब ट्रैक ग्रैंडिंग मशीन का इस्तेमाल भी होगा। यह मशीन का इस्तेमाल पटरियों को ग्रैंडिंग करने में होता है। ट्रेनों की आवाजाही से पटरियां घिस जाती हैं। ऐसे में यह मशीन पटरियों को ग्रैडिंग करता चलेगा, जिससे तेज रफ्तार ट्रेनों का परिचालन स्मूथ होगा।

गति बढ़ने पर आवाज कम होगी
पटना-मुगलसराय के अलावा जिस रूट से राजधानी एक्स. गुजरती है, स्वीकृत गति सीमा है 110 किमी
अभी पटना-मुगलसराय के अलावा जिस-जिस रूट से राजधानी एक्सप्रेस गुजरती है, स्वीकृत गति सीमा है 110 किलोमीटर। लेकिन, कोईलवर पुल समेत कुछ अन्य स्थानों पर ट्रेन की स्पीड कम रखनी पड़ती है। पर जल्द ही रेलवे पटरियों को इस तरह से अपग्रेड करने की तैयारी है कि कोई मेल, एक्सप्रेस ट्रेन 130 किलोमीटर की स्पीड से चल सकती है। पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ अरविंद कुमार रजक के अनुसार पटरियों के अपग्रेडेशन का काम चलते रहता है। वैसे पटना-मुगलसराय रूट पर राजधानी और संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस का परिचालन हो रहा है।

दूसरी रूटों पर भी इसी तरह कई मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। बजट में घोषित तेजस समेत अन्य ट्रेनों का परिचालन में भी कोई परेशानी नहीं होगी। बावजूद इसके लिए आवश्यक सुधार का काम चल रहा है। मसलन, दीघा-पहलेजा पुल पर स्टील के स्लीपर बिछाए गए हैं। इस पर हाई स्पीड ट्रेनों का परिचालन हो सकेगा। वैसे भी अब नई रेल लाइन बिछाने में नई तकनीक का ही इस्तेमाल होता है। अधिकांश रूट पर पहले के लकड़ी वाले स्लीपर की जगह सीमेंटेड स्लीपर लगा दिए गए हैं।

Source: Dainik Bhaskar

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