इस गांव ने 10 साल में मिटा दिया बेटे-बेटियों में फर्क

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भागलपुर जिले में कासिमपुर एक ऐसा गांव है, जहां महिलाएं जनसंख्या के मामले में पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। 2011 की जनगणना में जिले का लिंगानुपात एक हजार पुरुषों पर 879 महिलाओं का है तो इस गांव में यह फर्क बस नाम का है। नवगछिया प्रखंड के कदवा पंचायत का यह गांव मुख्य रूप से किसानों और मजदूरों का है।

2001 में इस गांव की जनसंख्या 916 थी। तब पुरुषों की संख्या महिलाओं से काफी ज्यादा थी। लोगों में बेटियों को बढ़ावा देने के प्रति जागरूकता का अभाव था।

बाद में पड़ोस के एक गांव में बेटियों के प्रति सम्मान से कासिमपुर ने प्रेरणा ली और यहां दस साल में बेटियां बराबरी पर आ गईं। 2011 की जनगणना के अनुसार इस गांव की आबादी बढ़कर 1500 हो गई। इसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर 750 पर पहुंच गई।

धरहरा ने बदली धारणा
जिले के धरहरा गांव में लड़कियों के जन्म लेने पर पौधे लगाने की परंपरा से कासिमपुर के लोगों की लड़कियों के प्रति धारणा ही बदल गई। यहां के लोग पौधे तो नहीं लगाते हैं लेकिन बेटियों के जन्म पर जश्न मनाते हैं। महिला मुखिया और महिला सरपंच के होने से गांव में महिलाओं की स्थिति पहले से बेहतर हुई है।

प्रयास बने प्रेरणा
राजकिशोर ठाकुर ने कहा कि हमलोग किसी योजना के लाभ के लिए बेटियों को बढ़ावा नहीं देते हैं बल्कि इन्हें लक्ष्मी का रूप मानते हैं। वैसे स्कूल में मुख्यमंत्री पोशाक योजना की राशि से काफी मदद मिलती है। कस्तूरी साह ने बताया कि हाईस्कूल में साइकिल योजना की राशि मिलती है। कन्या विवाह या सुरक्षा योजना के कारण शादी-विवाह में भी परेशानी नहीं आती है।

Source: Live Hindustan

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