पटना: 100 साल की हो चुकी पटना हाईकोर्ट की इमारत में ऐसी कई इबारतें हैं, जो शायद अनछुई रह गई हों। देश की पहली महिला हाईकोर्ट जज लीला सेठ ने कलकत्ता से वकालत शुरू तो की, लेकिन कुछ महीने बाद ही उनके पति का ट्रांसफर पटना हो गया। इसके बाद लीला को भी पटना हाईकोर्ट में अपनी वकालत शिफ्ट करनी पड़ी। वह भारत की पहली महिला थीं, जिन्होंने इंग्लैंड की बैरिस्टरी की परीक्षा में अव्वल स्थान हासिल किया था।
नवंबर, 1957 में बैरिस्टरी परीक्षा में टॉप होने के बाद 28 वर्षीया बैरिस्टर लीला सेठ ने फरवरी, 1958 में कलकत्ता हाईकोर्ट से वकालत शुरू की। लेकिन कुछ महीने बाद ही उनके पति प्रेम सेठ, जो बाटा कंपनी में तकनीकी अफसर थे, का दीघा की बाटा फैक्ट्री में ट्रांसफर हो गया। इस वजह से बैरिस्टर लीला सेठ को भी पटना हाईकोर्ट में वकालत शुरू करनी पड़ी। वह हाईकोर्ट के बैरिस्टर एसोसिएशन की सदस्य बनीं। उन्होंने वरीय अधिवक्ता कृष्ण दास चैटर्जी, जो बाद में बिहार के महाधिवक्ता हुए, के मार्गदर्शन में प्रैक्टिस की। वे मुख्यतः टैक्स, कंपनी एवं संवैधानिक मामलों पर वकालत करती थीं। अापराधिक मामलों में उनकी अद्भुत मेधा को देखते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें एमेक्सक्यूरे बनाते हुए कैदी की ओर से वकालत करने के लिए अधिकृत किया था। उस मामले में वह जीतीं तो सजायाफ्ता ने उनके पांव छूते हुए उन्हें लीला बाबू कहा, जो उन्हें सख्त नापसंद था।
1978 में बनीं जज
यहां उन्होंने 1958 से 1968 तक वकालत की। 1968 में उनके पति का फिर ट्रांसफर हो गया, इसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने चली गईं। 1978 में उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में देश की पहली महिला हाईकोर्ट जज के रूप में शपथ लिया। 1991 में वे हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनीं। लीला ने 2003 में प्रकाशित आत्मकथा ओन बैलेंस में पटना हाईकोर्ट में अपनी 10 साल की वकालत का जिक्र किया है।
तो वकालत कैसे चलेगा
यह नसीहत पटना हाईकोर्ट की प्रथम महिला वकील बैरिस्टर धर्मशीला लाल ने बैरिस्टर लीला सेठ को उस वक्त दी थी, जब वह पुराने स्टोर रूम में छिपे चमगादड़ों से डर से महिला प्रसाधन में नहीं जा पाती थीं। सुविख्यात पुरातत्वविद एवं भारतीय इतिहास के विद्वान बैरिस्टर काशी प्रसाद जायसवाल की पुत्री धर्मशीला लाल पटना हाईकोर्ट में वकालत करने वाली पहली महिला थीं। वह अापराधिक मामलों की वकालत करती थीं।
बेटी व बहू भी बनीं जज
पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस एससी मिश्रा के पुत्र एसके मिश्रा, पुत्री ज्ञानसुधा मिश्रा एवं पुत्रवधु मृदुला मिश्रा दोनों ही हाईकोर्ट की जज बनीं, जिनमें जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा बाद में सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति हुईं। सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति मृदुला मिश्रा वर्तमान में बिहार भूमि न्यायाधिकरण की अध्यक्षा हैं। 85 वर्षीया लीला सेठ के पुत्र विक्रम सेठ अंग्रेजी के विख्यात साहित्यकार हैं।
यह भी जानें
पटना हाईकोर्ट की पहली महिला जज जस्टिस इंदुप्रभा सिंह थीं। जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा पटना हाईकोर्ट की पहली महिला जज थीं, जो सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति हुईं। वहीं जस्टिस रेखा कुमारी निचली अदालत से प्रोन्नत होकर हाईकोर्ट में जज बननेवाली पहली महिला हैं। पटना हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली अंजना प्रकाश पहली सीनियर एडवोकेट बनीं। आज वह इसी हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति हैं। वर्तमान में पटना हाईकोर्ट में तीन महिला न्यायमूर्ति जस्टिस अंजना प्रकाश, जस्टिस अंजना मिश्रा एवं जस्टिस नीलू अग्रवाल हैं।
Source: Dainik Bhaskar