घर में खाने को नहीं थे पैसे, जिद से बनी महिला फुटबॉल अंडर 14 की कप्तान

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बेतिया.भारतीय महिला फुटबॉल अंडर 14 की कप्तान सोनी कुमारी को दिल्ली में यूनिसेफ की ओर से को-आर्डिनेटर बी जार्ज ने सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में बिहार की एक मात्र खिलाड़ी सोनी थी। सोनी ऐसे घर से आती है। जिस घर में खाने के लिए अनाज तक नहीं होता था। ऐसे कठिन परिस्थिति में इस मुकाम पर पहुंचना सोनी के लिए आसान नहीं था। सोनी आने वाली सभी चुनौतियों को झेलते हुए आगे बढ़ती रही है। आठ माह पहले भी यूनिसेफ के कार्यक्रम में न्यूयार्क जा चुकी है।

सोनी के पिता करते है मजदूरी
नरकटियागंज उच्च विद्यालय में नवम वर्ग की छात्रा है। सोनी नरकटियागंज प्रकाशनगर निवासी पन्नालाल पासवान एवं बबीता देवी की दूसरी पुत्री है। सोनी के पिता घर चलाने के लिए मजदूरी करते है। काफी मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता है। कठिन हालात के बाद भी बेटी के हौसलों को पन्नालाल बढ़ाते रहे।

मैदान के किनारे घंटों बैठकर देखती थी दूसरे को खेलते
सोनी बताती है कि 2010 में जब छात्र मैदान में खेल का प्रशिक्षण ले रहे होते तो उसे भी खेलने की लालसा होती थी। लेकिन, घर में खाने को नहीं तो वैसे ड्रेस व जूते कहा से लाती। इसलिए मैदान के किनारे खड़े होकर एकटक उन्हें निहारती। एक दिन जब प्रशिक्षक ने पूछा कि तुम भी खेलेगी तो जैसे लगा की अब उसकी खेलने की जिद पुरी होने वाली है और हामी भर दी। फिर प्रशिक्षक ने उसके मैले कुचैले व फटेहाल कपड़ों को बदलवा कर नए कपड़े व खेलने के जूते मंगवाए और प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।

इसके बाद जो खेलने का जुनून हावी हुआ आज भी बरकरार है। सोनी कहती है कि मैं जब भी खेलती हूं पूरी जोश व जुनून के साथ खेलती हूं, लेकिन मुझे सफलता की मुकाम तक पहुंचाने में सबसे बड़ा योगदान मेरे प्रशिक्षक सुनील वर्मा का है।

2012 में संभाली कप्तानी, 2015 में बांग्लादेश को हराया
2010 से फुटबॉल खेल की शुरूआत करने वाली सोनी अपने प्रतिभा के बल पर 2012 में अंडर 14 में भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान चुनी गई। कटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु में खेल चुकी है। श्रीलंका में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व भी किया। 2015 में 20 से 25 अप्रैल को नेपाल के काठमांडू में अंतरराष्‍ट्रीय मैच में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए बांग्लादेश को पराजित किया।

नेपाल से मैच ड्रा हुआ और भूकंप के कारण बीच में ही मैच छोड़कर वापस आना पड़ा। इसी साल सोनी को अमेरिका के न्यूयार्क में सेंटर फॉर सोशल एक्यूवी एन्क्लूजन एवं यूनिसेफ की ओर से आयोजित विश्वस्तरीय दलित सम्मेलन को संबोधित करने जाना पड़ा।

सरकारी घोषणा के बाद भी नहीं मिली सहायता
टीपी वर्मा कॉलेज के खेल निदेशक सह सोनी के प्रशिक्षक सुनील वर्मा बताते है कि सोनी के भारतीय कप्तान चुने जाने पर उसकी पारिवारिक व आर्थिक स्थिति जान सीएम नीतीश कुमार एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने उसे पूर्ण सहायता देने की घोषणा की थी। इसके लिए उन्होंने कई बार पटना जाकर विभाग का चक्कर भी लगाया। लेकिन सरकारी स्तर पर आजतक कोई सहायता उसे या उसके परिवार को नहीं मिल पाई। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर नरकटियागंज चीनी मिल की ओर से थोड़ी बहुत राशि सोनी को मुहैया कराई जाती है।

Source: Bhaskar.com

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