नालंदा में बुधवार को 150 चीनी बौद्ध भिक्षु चीनी त्रिपिटक का सेट भेंट करने के लिए आए। बुधवार को महाविहार के रजिस्ट्रार डॉ. सुनील सिन्हा को त्रिपिटक का सेट भेंट किया। चीन के तोंहुआ चेंग टेंपल के प्रमुख धर्मगुरु भिक्षु वानसिंग नेतृत्व कर रहे हैं।
चीन-भारत मैत्री प्रगाढ़: धर्मगुरु भिक्षु वानसिंग ने कहा कि नव नालंदा महाविहार वर्तमान में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहा है। महाविहार ने चीन-भारत मैत्री को और प्रगाढ़ किया है।
नालंदा विवि निभा रहा है अग्रणी भूमिका: नव नालंदा महाविहार आज प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के उत्तराधिकारी के रूप में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भिक्षु डॉ. धम्मज्योति ने कहा कि भिक्षु वानसिंग इस उपहार को देने करीब 150 बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं के साथ नालंदा आये हैं। यह महाविहार के लिए सम्मान की बात है। तोंगहुआ चेंग टेम्पल को दक्षिण भारत के आचार्य प्रज्ञा भयसज्य ने 502 ई.में बनवाया था। वे समुद्री मार्ग से चीन के ग्वांग दोंग प्रोभिंस के ग्वांग चो नामक तट पर गये थे,जहां उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी। वहां पर राजगीर के गृद्धकूट पर्वत के समान ही एक पर्वत था, जिसका नाम उन्होंने गृद्धकूट ही रखा था।
नेहरू ने दिया था: रजिस्ट्रार ने बताया कि पूर्व में भी चीन के राष्ट्रपति चाउ एन लाई जब भारत के प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू को ह्वेनसांग की अस्थियों को दिया था, उस समय भी उन्होंने चीनी त्रिपिटक का एक सेट भेंट किया था। फिलहाल, वह महाविहार के पुस्तकालय की धरोहर है।
Source: Livehindustan.com