भागलपुर: दिल्ली और कोलकाता की ननबैकिंग कंपनियां 9 साल में भागलपुर से करीब 100 करोड़ लेकर चंपत हो गई। इस अवधि में करीब 13 ननबैकिंग कंपनियों ने अपना कारोबार समेटा और अब तक थाने व कोर्ट में आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसके बावजूद न तो राशि वसूली की दिशा में कोई कार्रवाई हुई और न ही आरोपियों पर शिकंजा कसा जा सका।
ऐसे में नन बैंकिंग कंपनियों के झांसे में फंसे करीब एक लाख ग्राहकों की गाढ़ी कमाई का कोई अता-पता नहीं है, जबकि करीब 10 हजार अभिकर्ता सड़क पर आ गए हैं। पूर्व में भी जिला प्रशासन द्वारा ननबैंकिंग कंपनियों के फर्जीवाड़े की रिपोर्ट बैंक व वित्तीय संस्थान से लेकर अपराध अनुसंधान विभाग के एसपी तक को दी गई थी। अब ननबैंकिंग संघर्ष फोरम ने एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर प्रशासन से फिर से कार्रवाई की गुहार लगाई है।
प्रशासन की रिपोर्ट पर भी नहीं हुई कार्रवाई
जिला बैंकिंग शाखा की ओर से पूरे मामले पर पिछले साल छह जनवरी को एक रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें कहा गया था कि भागलपुर शहर से ननबैंकिंग कंपनियां आम नागरिकों की गाढ़ी कमाई लेकर फरार हो गई है। आज सभी कंपनियां अपनी शाखा बंद कर चुकी हैं और निवेशकों को जमा राशि वापस नहीं किया जा रहा है। प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ये सभी कंपनियां बड़ी मात्रा में लोगों से राशि वसूल चुकी हैं। सभी ननबैंकिंग कंपनियों द्वारा नियम के विरुद्ध आम नागरिकों को लालच देकर धन उगाही की जाती थी। प्रशासन की रिपोर्ट में दिल्ली, कोलकाता, पूर्णिया सहित सूरत की कुल 13 कंपनियों का नाम भागने वाली कंपनी के रूप में चिह्न्ति किया गया था।
Source: LiveHindustan